इस मौके पर अपने संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ शिप्रा सिंह ने कहा की प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है। प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन सभी जीव जगत के लिए बेहद ही अनिवार्य है। प्रकृति पर ही पर्यावरण निर्भर करता है। ट्रस्ट की अध्यक्ष उर्वशी सिँह ने कहा कि गर्मी, सर्दी, वर्षा आदि सब प्रकृति के सन्तुलन पर निर्भर करते हैं। यदि प्रकृति समृद्ध एवं सन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी अच्छा होगा और सभी मौसम भी समयानुकूल सन्तुलित रहेंगे। यदि प्रकृति असन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी असन्तुलित होगा और अकाल, बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प आदि अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं कहर ढाने लगेंगी। प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है। पेड़ प्रकृति का आधार हैं। पेड़ों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने पेड़ों को पूरा महत्व दिया।
ज्योति श्रीवास्तव ने कहा कि वेद पुराणों और शास्त्रों में भी पेड़ों के महत्व को समझाने के लिए विशेष जोर दिया गया है। पुराणों में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि एक पेड़ लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि दस गुणवान पुत्रों से यश की प्राप्ति होती है। डॉ पी के सिंह ने कहा कि जिस प्रकार हम अपने बच्चों को पैदा करने के बाद उनकी परवरिश बड़ी तन्मयता से करते हैं, उसी तन्मयता से हमें जीवन में एक पेड़ तो जरूर लगाना चाहिए और पेड़ लगाने के बाद उसकी सेवा व सुरक्षा करनी चाहिए। तभी हमें पेड़ लगाने का परम पुण्य हासिल होता है।मधुलिका अस्थाना ने कहा कि भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि जिसकी संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान है। वृक्ष एक तरह से संतान की तरह ही मानव की उम्रभर सेवा करते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए।शिक्षा समिति के अध्यक्ष
आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। डॉ राम मोहन अस्थाना ने कहा कि एक पेड़ लगाने से असंख्य जीव-जन्तुओं के जीवन का उद्धार होता है और उसका अपार पुण्य सहजता से हासिल होता है। एक तरह से पेड़ लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में भी वृक्षारोपण को अति पुण्यदायी माना गया है। शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। पद्म पुराण में तो यहां तक लिखा है कि जलाशय (तालाब/बावड़ी) के निकट पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सैंकड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। केवल इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति में एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान माना गया है।
वरिष्ठ पत्रकार दीपक श्रीवास्तव ने कहा बिना वृक्षो के पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है ऐसे में आए दिन हरे पेड़ों की कटाई जोरों से हो रही है सर्वप्रथम हमें उन्हें रोकना है और आसपास में ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाना होगा जिससे कि आने वाले समय में लोगों को ऑक्सीजन की कमी ना हो जैसा कि कोविड-19 में ऑक्सीजन के लिए मारामारी मची हुई थी हम ऐसे पेड़ लगाए हैं जिनसे पर्यावरण में ज्यादा ऑक्सीजन उत्पन्न होगा जो उक्त आशा की जानकारी शिक्षा समिति के जिला मीडिया प्रभारी दीपक श्रीवास्तव पत्रकार द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से ज्ञान चंद गुप्ता विद्याधर राज विद्यार्थी पत्रकार इस स्मित सिंह मास्टर देवांश श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें